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बच्चों में गुस्सा आना सामान्य बात है, गुस्सा किसी को भी आ सकता है , बच्चों को भी और व्यस्क को भी। कभी कभी बच्चे अपनी बात समझा नहीं पाते है, और इसलिए भी उन्हे गुस्सा आ जाता है, या फिर अपनी बात मनवाने के लिए भी बच्चे गुस्सा कर सकते हैं। सबसे पहले हमें बच्चे के गुस्से के कारण को समझना चाहिए। बच्चे जब गुस्सा करे तो हमें उन्हे डांटना या पीटना नहीं चाहिए, या फिर उल्टा उनपर गुस्सा नहीं होना है। इस समय हमें बहुत समझदारी से काम लेना है।

जब हम बच्चो पर रोजाना गुस्सा करते है, उन्हे हमेशा डांटेंगे या पीटेंगे, इस तरह से बच्चे भी गुस्सैल और चिड़चिड़े हो जाते हैं। जिन घरों में माता पिता ज्यादातर लड़ते झगड़ते है, उन घरों  में बच्चे भी गुस्सैल हो जाते हैं। माता पिता होने के नाते हमारा ये कर्तव्य है कि हम अपने बच्चे को अच्छी आदतें सिखाए। अगर किसी बात पर गुस्सा आता भी है तो माता पिता को बच्चो के सामने एक दूसरे पर नहीं उतरना चाहिए।

बच्चों का गुस्सा कम करने के लिए आप नीचे दिये हुए आसान टिप्स को आजमा सकते है:

गुस्से का कारण पता करें

सबसे पहले हमें बच्चे में गुस्सा के कारण को समझना होगा, कि उसका गुस्सा किसी वस्तु की वजह से, हार्मोनल बदलाव की वजह से, दोस्त या साथियों की वजह से, पारिवारिक कलह की वजह से, या फिर किसी कमी की वजह से है।

गुस्से का कारण पता लगने पर उसे कंट्रोल करना आसान हो जाएगा। बच्चे को ये विश्वास दिलाए की आप उसके साथ है, उसे डराए धमकाए नहीं। उसे अपनी बात कहने का मौका दे।उसे भावनात्मक रूप से सपोर्ट दे।

बच्चों के दोस्त बनें

अगर बच्चा अपनी बातो को अपने मन में ही रखेगा उन्हे व्यक्त नहीं करेगा तो भी वह गुस्सैल बन जायेगा। हमे अपने बच्चे के साथ कनेक्ट बनाना है, उसका दोस्त बनना है, कि वह अपने मन की हर बात बेझिझक हमे बता सके।

बच्चे का ध्यान ग़ुस्से से हटाकर उनके शौक़ में लगाना

कभी कभी बच्चे गुस्से में चीजों को फेंक देते है, इस समय उन्हे गुस्से को डिस्ट्रैक्ट करने के तरीके सिखाए जैसे, गिनती करना, गहरी सांस लेना, पेंटिंग्स बनाना, उनमें रंग भरना, या फिर जो भी उनकी पसंदीदा हॉबी हो, उसे करने के लिए प्रेरित करना। इस से उनका ध्यान दूसरी ओर डायवर्ट हो जाएगा, और धीरे धीरे गुस्सा भी शांत हो जाएगा।

प्यार से गले लगाना

बच्चे जब भी गुस्सा करे, तो हमें इनपर चिल्लाना नहीं है, उन्हे प्यार से गले लगाए। जब आप उन्हे गले लगाएंगे तो वे अपने आप को सेफ फील करेंगे, और अपनी परेशानी या गुस्से की वजह को आपके साथ शेयर करेंगे।

बच्चो को गलती मानना सिखायें

हमे बच्चो की बातों को सुनना है। इसके बाद हमें धीरे धीरे ये समझाना है कि गुस्सा कितना नुकसान दायक है। हमे बच्चो को उनकी गलतियां माननी सिखाना चाहिए, इसके लिए अगर आपसे कोई गलती होती है तो आप भी बच्चो को सॉरी बोले। क्योंकि बच्चे बड़ो को जैसा करते हुए देखते हैं वैसा ख़ुद भी करते हैं।

कोई भी काम बच्चो को सिखाने से पहले हमें भी बच्चो को वो काम खुद करके दिखाना चाहिए। बच्चों के पहले शिक्षक माता पिता होते हैं। इसीलिए अगर हमें अपने बच्चे को कुछ सिखाना है तो पहले हमें उस करना होगा। 

बच्चों की नींद का ख़याल रखें

बच्चो की नींद का ख्याल रखे, क्योंकि बच्चो के गुस्से का एक कारण नींद पूरी न होना भी हो सकता है।  बच्चो की नींद पूरी न होने के कारण भी वे चिड़चिड़े और गुस्सैल हो जाते हैं। इसलिए बच्चों के अच्छे विकास के लिए उन की नींद पूरी होना बहुत आवश्यक है। आपको कोशिश करनी चाहिए की आप अपने बच्चे को रात को 7 बजे से पहले ख़ाना खिला दें ताकि 8 बजे तक वो सो जाये और सुबह वह अपनी नींद पूरी होने के बाद स्वयं उठ जाये ।

दूसरों के सामने बच्चे को अपमानित ना करें

बच्चो की गलतियों पर उन्हे सबके सामने डांटे या मारे नहीं, बल्कि उन्हें अकेले में सही या गलत को समझाए । सबके सामने डांटने या मारने पर भी बच्चो के अंदर गुस्से की भावना बढ़ती जाती है।

अच्छा कार्य करने पर बच्चे की प्रशंशा अवश्य करें

जब भी बच्चा कोई अच्छा कार्य करे तो उसे जरूर सराहे। बच्चो को गुस्सा करने की बजाय उन्हे बोलकर अपनी बात कहना सिखाए, और जब भी वे ऐसा करे तो उनकी बातो को ध्यान से सुने। बच्चो की बातों को कभी इग्नोर न करे, इस से बच्चा अपनी बात कहना बंद कर देगा और गुस्सैल बन जायेगा।

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बच्चों पर नज़र रखें

आज के समय में बच्चे टीवी और फोन ज्यादा देखते है, हमे इन बातो का ख्याल रखना है की वे किस तरह का कंटेंट देख रहे हैं, क्योंकि हिंसात्मक और आक्रामक तरह का कंटेंट देखने से बच्चे भी उसी तरह से करते हैं।

बच्चों के साथ सकारात्मक रहें

बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, हम उन्हे जिस वातावरण में ढालेंगे बच्चे उसी तरह ढल जायेंगे। बच्चे की पहली शिक्षक मां होती है, और पहला स्कूल परिवार, इसीलिए बच्चो पर हमे खास ध्यान रखना चाहिए। बच्चो के साथ अच्छी बॉन्डिंग बनानी चाहिए। जितना ज्यादा हो सके हमे बच्चो के साथ समय बिताना चाहिए।






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