आज के समय में अधिकतर पेरेंट्स की यही शिकायत रहती है कि बच्चे बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइम इस्तेमाल करते हैं। ज्यादा स्क्रीन टाइम होने से बच्चों की आँखें कम उम्र में ही कमजोर होने लगती है और उन्हें चश्मा लग जाता हैं। आज के व्यस्त लाइफ स्टाइल में माता पिता के पास बच्चों को बिजी करने का आसान तरीका है कि उन्हें फोन दे दिया जाए। लेकिन ज्यादा स्क्रीन टाइम से आँखें तो कमज़ोर होती ही हैं और साथ ही बच्चों के मानसिक एवम् शारीरिक विकास पर भी असर पड़ता है।आज मैं आपके लिए इस समस्या को दूर करने के लिए कुछ आसान टिप्स लाई हूँ जिन्हें अपनाकर आप बच्चों का स्क्रीन टाइम काफी हद्द तक कम कर सकते हैं।
ऐसा नहीं है कि हम बच्चों को फोन न देकर ही उनका स्क्रीन टाइम कम कर सकते हैं, बल्कि इसके लिए हमें अपना भी स्क्रीन टाइम कम करना होगा। क्योंकि बच्चे बहुत सारी बातें, सिर्फ सुनकर नहीं बल्कि देखकर भी सीखते हैं, बल्कि मैं तो ये कहूंगी कि बच्चे देखकर ज्यादा सीखते हैं । मतलब आप क्या करते हैं इसका असर बच्चों पर ज्यादा होता है बजाय आप बच्चों को क्या बोलते हैं।
बच्चों के साथ समय बिताए
बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के लिए आपको उनके साथ समय बिताना होगा, उनके साथ गेम्स खेले, उन्हें नई नई एक्टिविटी करवाए, इस से बच्चे व्यस्त रहेंगे और साथ ही उनका मानसिक एवम् शारीरिक विकास भी होगा।
बच्चों से छोटे-छोटे काम करवायें
अरे नहीं नहीं बच्चों से काम करवाने से मेरा ये मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आप अपने बच्चों से मजदूरी या ऐसा कुछ करवाए। आप अपने बच्चों को घर के कामों में शामिल कर सकते हैं, जैसे कि उनके अपने खिलौनों को खेलने के बाद अपनी जगह पर रखना, खाना खाकर अपने बर्तन सिंक में रखना, अपने कपड़े उनकी अपनी जगह पर रखना। ऐसा करवाने से बच्चे व्यस्त भी रहते हैं और अनुशासन भी सीखते हैं।
बच्चों के मोबाइल में गूगल की फ़ैमिली लिंक ऐप इनस्टॉल कीजिए
अगर आपने अपने बच्चे को उसका स्वयं का मोबाइल दिया हुआ है तो ये काफ़ी ज़रूरी हो जाता है कि बच्चों के फ़ोन में गूगल का बनाया हुआ फ़ैमिली लिंक ऐप इनस्टॉल कीजिए और अपने फ़ोन में भी इसके बाद आप अपने फ़ोन से बच्चों के फ़ोन को पूरी तरह से कंट्रोल कर पायेंगे। बच्चों का स्क्रीन टाइम लिमिट सेट कर सकते हैं। जब बच्चे उतना टाइम फ़ोन का इस्तेमाल कर लेंगे तो फ़ोन स्वयं लॉक हो जाएगा और बच्चे चाह कर भी फ़ोन को इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। साथ ही इस ऐप से आप ये भी देख सकते हैं कि बच्चे अपने फ़ोन में क्या देख रहे हैं किस ऐप पर ज़्यादा समय बिता रहें हैं।
बच्चों के साथ गेम्स खेलें
आप बच्चों के साथ इनडोर और आउट डोर गेम्स खेल सकते हैं, जैसे कि लूडो, कैरम, UNO, हाईड एंड सीक, फ्रीज़ डांस, ट्रेजर हंट, चेस, और पज़ल्स आदि। इस से आप ये भी जान पाएंगे कि बच्चे की किस खेल में रुचि है, ओर क्या पता आगे जाकर बच्चा इसमें अपना करियर बना सकता है। ओर गेम्स खेलने से बच्चों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।
स्टोरी टाइम
आप बच्चों को कहानियां सुना सकते हैं। आपको भी याद होगा कि किस तरह हमारे माता पिता या दादा दादी भी हमे कहानियां सुनाते थे। कहानियों के माध्यम से सिखाई गई बाते बच्चों को आसानी से समझ भी आ जाती है, और उन्हें याद भी रहती हैं। आप उन्हें रियलिस्टिक और आध्यात्मिक कहानियां सुना सकते हैं जिस से उनका बौद्धिक विकास भी होगा।
सांस्कृतिक या खेल कौशल की कक्षाएं
इन सब के अलावा आप उन्हें उनकी रुचि के अनुसार किसी एक्टिविटी क्लास जैसे स्विमिंग, पेंटिंग, क्रिकेट या डांस क्लास भी भेज सकते हैं। ऐसा करने से बच्चे का स्क्रीन टाइम तो कम होगा ही साथ ही उनका शारीरिक विकास होगा और उनके अंदर ख़ुद पर विश्वास भी बढ़ेगा ।
निष्कर्ष
बच्चों के जीवन में माता पिता का बहुत अहम रोल होता हैं, मैं समझ सकती हूं कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में माता पिता चाह कर भी बच्चों को उतना समय नहीं दे पाते है, ओर खासकर जब दोनों ही वर्किंग हो। परन्तु जहां पेरेंट्स दोनों ही वर्किंग होते है तो वहां दोनों का ही फ़र्ज़ हैं कि वह किसी तरह अपने टाइम को मैनेज करके बच्चों के लिए समय निकालें। बच्चों के लिए समय निकालना बहुत जरूरी है, क्योंकि एक बार जो ये बचपन निकल गया फिर लौट कर नहीं आएगा। ऊपर दिए गए टिप्स मेरे अपने अनुभव के आधार पर है।